छोटी का कमाल
समरसिंह थे बहुत अकड़ते, छोटी, कितनी छोटी।
मैं हूँ आलू भरा पराँठा. छोटी पतली रोटी।
मैं हूँ लंबा, मोटा तगड़ा, छोटी पतली दुबली।
मैं मोटा पटसन का रस्सा, छोटी कच्ची सुतली।
शब्दार्थ: अकड़ना-घमंड दिखाना। पटसन-एक पौधा, जिसके रेशे से रस्सी, बोरा आदि बनाए जाते हैं। सुतली-डोरी. रस्सी।
व्याख्या: समरसिंह नामक लड़के को अपने मोटापे पर बहुत घमंड है। वह पतली लड़की छोटी को बड़े ही उपहास की दृष्टि से देखता है। वह सोचता है कि मैं आलू भरे पराँठे की तरह हूँ और छोटी पतली रोटी की तरह। मैं लंबा, मोटा-तगड़ा हूँ, जबकि छोटी दुबली-पतली। समरसिंह अपने को पटसन का रस्सा तथा छोटी को कच्ची सुतली मानता है।
लेकिन जब बैठे सी-सॉ पर, होश ठिकाने आए,
छोटी जा पहुँची चोटी पर, समरसिंह चकराए।
शब्दार्थ: होश ठिकाने आना-समझ में आना। चोटी-ऊँचाई। चकराना-चकित होना।
व्याख्याः कवि कहता है कि अपनी लंबाई-चौड़ाई तथा मोटापे के अभिमान में डूबे समरसिंह जब सी-सॉ पर बैठे तब उनका घमंड चूर हो गया। हल्की होने के कारण छोटी झूले के दूसरे छोर पर ऊपर हो गई, जबकि मोटा और भारी होने के कारण समरसिंह नीचे रह गए और उनका घमंड जाता रहा।
Question
Question 1 : समरसिंह शरीर में कैसे थे ?
1.
पतले -दुबले
2.
मोटे -तगड़े
3.
हलके - फुल्के
4.
इनमे से कोई नहीं
Answer
Correct Anaswer : 2
Explanation:
मोटे -तगड़े
1525
Question 2 : समरसिंह स्वभाव में कैसा था ?
1.
सरल
2.
कठोर
3.
दुर्बल
4.
अकडू
Answer
Correct Anaswer : 4
Explanation:
अकडू
1526
Question 3 : समरसिंह के अनुसार छोटी कैसी थी ?
1.
पतली रोटी
2.
आलू भरा पराँठा
3.
पटसन का रस्सा
4.
उपर्युक्त में से कोई नहीं
Answer
Correct Anaswer : 1
Explanation:
पतली रोटी
1527