पगड़ी


मैली पगड़ी, इतनी रगड़ी, इंतनी रगड़ी, इतनी रगड़ी,
इतनी रगड़ी, रह गया मैल, न रह गई पगड़ी।

शब्दार्थ : मैली-गंदी। पगड़ी-सिर पर लपेटकर बाँधने का कपड़ा। मैल- गंदगी

व्याख्याः इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहता है कि एक मैली पगड़ी को नौकर ने रगड़-रगड़कर इतना साफ किया कि वह तो फट गई लेकिन उसका मैल खत्म नहीं हुआ।

हट्टी-कट्टी। मोटी-तगड़ी, मलकिन झगड़ी,
इतनी झगड़ी, इतनी झगड़ी, इतनी झगड़ी, इतनी झगड़ी,
तर गया मैल, और तर गई पगड़ी।

शब्दार्थ : हट्टी-कट्टी-मोटी-ताजी। तर जाना-पूरी तरह से मुक्त हो जाना।

व्याख्या : नौकर के द्वारा पगड़ी की मैल को साफ़ किए जाने के क्रम में उसके फट जाने पर उसकी मालकिन ने खूब झगड़ा किया। उसने इतना झगड़ा किया कि इसमें पगड़ी और मैल दोनों ही तर गए।


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