यायावर साम्राज्य
यायावर साम्राज्य : यायावर लोग मूलत: घुमक्कड़ होते है जो मध्य एशिया के मंगोल हैं | जिन्होंने एक अविभेदित जीवन और प्रारंभिक राजनितिक संगठन से साथ परिवारों से समूहों में संगठित होते थे | जबकि दूसरी ओर 'साम्राज्य' शब्द भौतिक अवस्थियों को दर्शाता है |
मध्य एशिया के यायावर साम्राज्य की विशेषताएँ :
(i) इन्होने तेरहवीं और चौदहवीं शताब्दी में पारमहाद्वीपीय साम्राज्य की स्थापना चंगेज़ खान के नेतृत्व में की थी।
(ii) उसका साम्राज्य यूरोप और एशिया महाद्वीप तक विस्तृत था।
(iii) कृषि पर आधरित चीन की साम्राज्यिक निर्माण-व्यवस्था की तुलना में शायद मंगोलिया के यायावर लोग दीन-हीन, जटिल जीवन से दूर एक सामान्य सामाजिक और आखथक परिवेश में जीवन बिता रहे थे लेकिन मध्य-एशिया के ये यायावर एक ऐसे अलग-थलग ‘द्वीप’ के निवासी नहीं थे जिन पर ऐतिहासिक परिवर्तनों का प्रभाव न पड़े।
(iv) इन समाजों ने विशाल विश्व के अनेक देशों से संपर्क रखा, उनके ऊपर अपना प्रभाव छोड़ा और उनसे बहुत वुफछ सीखा जिनके वे एक महत्वपूर्ण अंग थे।
मंगोलियाई यायावरी समाज के विषय में जानकारियों का स्रोत :
(i) इतिवृतों से |
(ii) यात्रा वृतांतों से |
(iii) नगरीय साहित्यकारों के दस्तावेज से |
(iv) कुछ निर्णायक स्रोत चीनी, मंगोली, फारसी और अरबी भाषा में उपलब्ध हैं |
(v) कुछ महत्वपूर्ण सामग्रियाँ हमें इतावली, लातिनी फ्रांसिसी और रुसी भाषा में भी मिलती है |
मार्कोपोलो का यात्रावृतांत : यह यात्रावृतांत इतावली और लातिनी भाषा में उपलब्ध है |
मंगोलों की सामाजिक स्थिति :
(i) मंगोल समाज में विविध सामाजिक समुदाय थे | जिसमें पशुपालक और शिकारी संग्राहक थे |
(ii) पशुपालक समाज घोड़ों, भेड़ और ऊँटों को पालते थे |
(iii) पशुपालक मध्य एशिया की घास के मैदान में रहते थे | यहाँ छोटे-छोटे शिकार उपलब्ध थे |
(iv) शिकारी संग्राहक साईंबरियाई वनों में रहते थे तथा पशुपालकों की तुलना में गरीब होते थे |
(v) चारण क्षेत्र में साल की कुछ अवधि में कृषि करना संभव, परन्तु मंगोलों ने कृषि को नहीं अपनाया |
(vi) वह आत्मरक्षा और आक्रमण के लिए परिवारों तथा कुलों के परिसंघ बना लेते थे |
(vii) वे लोग पशुधन के लिए लूटमार करते थे एवं चारागाह के लिए लड़ाइयाँ लड़ते थे |
मंगोलों के सैनिक प्रबंधन की विशेषताएँ :
(i) मंगोल सैनिकों में प्रत्येक सदस्य स्वस्थ, व्यस्क और हथियारबंद घुड़सवार दस्ता होता था |
(ii) सेना में भिन्न-भिन्न जातियों के संगठित सदस्य थे |
(iii) उनके सेना तुर्की मूल के और केराईट भी शामिल थे |
(iv) उनकी सेना स्टेपी क्षेत्र की पुरानी दशमलव प्रणाली के अनुसार गठित की गई।
(v) मंगोलीय जनजातीय समूहों को विभाजित करके नवीन सैनिक इकाइयों में विभक्त किया गया।
(vi) सबसे बड़ी इकाई लगभग 10,000 सैनिकों की थी।
बुखारा पर कब्जा : तेरहवी शताब्दी में ईरान पर मंगोलों के बुखारा की विजय का वृतांत एक फारसी इतिवृतकार जुवैनी ने 1220 ई. में दिया है - उनके कथनानुसार, नगर की विजय के बाद चंगेज खान उत्सव मैदान गया जहाँ पर नगर के धनी व्यापारी एकत्रित थे | उसने उन्हें संबोधित कर कहा, अरे लोगों! तुम्हें यह ज्ञात होना चाहिए कि तुम लोगों ने अनेक पाप किए हैं और तुममें से जो अधिक सम्पन्न लोग हैं उन्होंने सबसे अधिक पाप किए हैं। अगर तुम मुझसे पूछो कि इसका मेरे पास क्या प्रमाण है तो इसके लिए मैं कहूँगा कि मैं ईश्वर का दंड हूँ। यदि तुमने पाप न किए होते तो ईश्वर ने मुझे दंड हेतु तुम्हारे पास न भेजा होता |
तेरहवी शताब्दी में मंगोलों की शासन की विशेषताएँ :
(i) तेरहवीं शताब्दी के मध्य तक मंगोल एक एकीकृत जनसमूह के रूप में उभरकर सामने आए और उन्होंने एक ऐसे विशाल साम्राज्य का निर्माण किया जिसे दुनिया में पहले नहीं देखा गया था।
(ii) उन्होंने अत्यंत जटिल शहरी समाजों पर शासन किया जिनके अपने-अपने इतिहास, संस्कृतियाँ और नियम थे।
(iii) हालांकि मंगोलों का अपने साम्राज्य के क्षेत्रों पर राजनैतिक प्रभुत्व रहा, फिर भी संख्यात्मक रूप में वे अल्पसंख्यक ही थे।
मंगोली शासन व्यवस्था में "यास" की भूमिका : मंगोलों लिए अपनी पहचान और विशिष्टता की रक्षा का एकमात्र उपाय उस पवित्र नियम के अधिकार के दावे के जरिये हो सकता था, जो उन्हें अपने पूर्वजों से प्राप्त हुआ था। इस बात की पूरी संभावना है कि यास मंगोल जनजाति की ही प्रथागत परंपराओं का एक संकलन था। किंतु उसे चंगेश खान की विध्-िसंहिता कहकर मंगोलों ने भी मूसा और सुलेमान की भांति अपने एक स्मृतिकार के होने का दावा किया जिसकी प्रामाणिक संहिता प्रजा पर लागू की जा सकती थी। यास मंगोलों को समान आस्था रखने वालों के आधार पर संयुक्त करने में सफल हुआ। उसने चंगेज खान और उनके वंशजों से मंगोलों की निकटता को स्वीकार किया। स्थानबद्ध जीवन-प्रणाली के कुछ पहलुओं को अपना लिया था, फिर भी यास ने उनको अपनी कबीलाई पहचान बनाए रखने और अपने नियमों को उन पराजित लोगों पर लागू करने का आत्म-विश्वास दिया। यास एक बहुत ही सशक्त विचारधरा थी।
तेरहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में हुए युद्धों से हानियाँ :
(i) इन युद्धों से अनेक नगर नष्ट कर दिए गए, कृषि भूमि को हानि हुई और व्यापार चौपट हो गया |
(ii) दस्तकारी वस्तुओं की उत्पादन-व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई |
(iii) सैकड़ों-हजारों लोग मारे गए और इससे कही अधिक दास बना लिए गए |
(iv) सभ्रांत लोगों से लेकर कृषक-वर्ग तक समस्त लोगों को बहुत कष्टों का सामना करना पड़ा |
चंगेज खान : चंगेज खान का जन्म लगभग 1162 ई० में आधुनिक मंगोलिया में ओनोन नदी के निकट हुआ था | उसका प्रारंभिक नाम तेमुजिन था | उसके पिता का नाम येसुजेई था जी कियात कबीले का मुखिया था | उसके बचपन में ही उसके पिता की हत्या कर दी गई थी | अत: उसकी माता ओलुन-इके ने तेमुजिन और उसके सगे और सौतेले भाइयों का पालन-पोषण किया था | 1170 के दशक में उसे अपहरण कर उसे दास बना लिया गया था | उसकी पत्नी का भी अपहरण कर लिया गया था |अपनी पत्नी को छुड़ाने के लिए उसे लड़ाई लड़नी पड़ी | इन्ही लड़ियों में वह अपना अनेक मित्र बना लिया | धीरे-धीरे वह अनेक कबीलों में उसकी ख्याति बढ़ती चली गई |
चंगेज खान के वंशजों की उपलब्धियाँ :
(i) मंगोल शासकों ने सब जातियों और धर्मों के लोगों को अपने यहाँ प्रशासकों और हथियारबंद सैन्य दल वेफ रूप में भर्ती किया।
(ii) इनका शासन बहु-जातीय, बहु-भाषी, बहु-धर्मिक था जिसको अपने बहुविध् संविधान का कोई भय नहीं था।
(iii) साम्राज्य निर्माण की महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए अनेक समुदाय में बंटे हुए लोगों का एक परिसंघ बनाया।
(iv) अंततः मंगोल साम्राज्य भिन्न-भिन्न वातावरण में परिवर्तित गया तथापि मंगोल साम्राज्य के संस्थापक की प्रेरणा एक प्रभावशाली शक्ति बनी रही।
(v) उन्होंने विविध् मतों और आस्था वाले लोगों को सम्मिलित किया। हालांकि मंगोल शासक स्वयं भी विभिन्न धर्मों एवं आस्थाओं से संबंध् रखने वाले थे - शमन, बौद्ध, ईसाई और अंततः इस्लाम के मानने वाले थे जबकि उन्होंने सार्वजनिक नीतियों पर अपने वैयक्तिक मत कभी नहीं थोपे |
मंगोलों के लिए चंगेज खान की उपलब्धियाँ : मंगोलों के लिए चंगेज़ खान अब तक का सबसे महान शासक था, जिसकी निम्नलिखित उपलब्धियाँ थी |
(i) उसने मंगोलों को संगठित किया, लंबे समय से चली आ रही कबीलाई लड़ाइयों और चीनियों द्वारा शोषण से मुक्ति दिलवाई |
(ii) साथ ही उसने उन्हें समृद्ध बनाया और एक शानदार पारमहाद्वीपीय साम्राज्य बनाया
(iii) उसने व्यापार के रास्तों और बाजारों को पुनर्स्थापित किया जिनसे वेनिस के मार्कोपोलो की तरह दूर के यात्राी आकृष्ट हुए।
(iv) चंगेज़ खान के इन परस्पर विरोधी चित्रों का कारण एकमात्र परिप्रेक्ष्य की भिन्नता नहीं बल्कि ये विचार हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि किस तरह से एक प्रभावशाली दृष्टिकोण अन्य को पूरी तरह से मिटा देता है।
तैमुर एवं चंगेज खान के वंश से संबंध : चौदहवीं शताब्दी के अंत में एक अन्य राजा तैमूर, जो एक विश्वव्यापी राज्य की आकांक्षा रखता था, ने अपने को राजा घोषित करने में संकोच का अनुभव किया, क्योंकि वह चंगेज़ खान का वंशज नहीं था। जब उसने अपनी स्वतंत्र संप्रभुता की घोषणा की तो अपने को चंगेज़ खानी परिवार के दामाद के रूप में प्रस्तुत किया।
Question
Question 1 : चंगेज खान का जन्म कब हुआ था?
1. 1062 में
2. 1162 में
3. 1150 में
4. 1170 में
Answer
Correct Anaswer : 2
Explanation:
1162 में
1175
Question 2 : चंगेज खान की मृत्यु कब हुई?
1. 1227 में
2. 1230 में
3. 1240 में
4. 1260 में
Answer
Correct Anaswer : 1
Explanation:
1227 में
1176
Question 3 : तेमुजिन किस मंगोल खान का मूल नाम था?
1. चंगेज खाँ
2. बाटू खाँ
3. कुबलई खाँ
4. इनमें से कोई नहीं
Answer
Correct Anaswer : 1
Explanation:
चंगेज खाँ
1177
Question 4 : किस मंगोल सेना नायक ने धर्म परिवर्तन कर इस्लाम ग्रहण किया?
1. चंगेज खाँ
2. चगताई खाँ
3. कुबलई खाँ
4. गजन खाँ
Answer
Correct Anaswer : 4
Explanation:
गजन खाँ
1178
Question 5 : अफीम युद्ध किन दो देशों के बीच हुआ?
1. चीन एवं फ्रांस
2. जापान एवं रूस
3. चीन एवं जापान
4. चीन एवं ब्रिटेन
Answer
Correct Anaswer : 4
Explanation:
चीन एवं ब्रिटेन
1179