समय की शुरुआत से


मानव - 56 लाख वर्ष पहले पृथ्वी पर मानव का प्रादुर्भाव हुआ।

जीवाश्म - ‘जीवाश्म’ (Fossil) पुराने पौधे, जानवर या मानव के उन अवशेषों या छापों के लिए प्रयुक्त किया जाता है जो एक पत्थर के रूप में बदलकर अक्सर किसी चट्टान में समा जाते हैं और फिर लाखों सालों तक उसी रूप में पड़े रहते हैं।

प्रजाति- जीवों का एक ऐसा समूह होता है जिसके नर-मादा मिलकर बच्चे पैदा कर सकते हैं और उनके बच्चे भी आगे प्रजनन करने मे समर्थ होते हैं।
ऑन दि ओरिजिन ऑफ स्पीशीज - चार्ल्स ड्रार्विन द्वारा लिखित पुस्तक।
प्राइमेट- स्तनपायी प्राणियो के एक अधिक बड़ा समूह है | इसमें वानर, लंगूर और मानव शामिल हैं।
आस्ट्रेलोपिथिकस - यह शब्द लैटिन भाषा के शब्द आस्ट्रल अर्थात् ‘दक्षिणी’ और यूनानी भाषा के शब्द पिथिकस अर्थात् वानर से मिलकर बना है।
‘जीनस’- इसके लिए हिन्दी मे ‘वंश' शब्द का प्रयोग किया जाता है।
होमिनॉइड - यह बन्दरों से कई तरह से भिन्न होते हैं, इनका शरीर बन्दरों से बड़ा होता है और इनकी पूछँ नहीं होती।

 

होमिनॉइड की विशेषताएँ -
(i) होमिनॉइड (Hominoids) बंदरों से कई तरह से भिन्न होते हैं।
(ii) उनका शरीर बंदरों से बड़ा होता है और उनकी पूँछ नहीं होती।
(iii) होमिनिडों के विकास और निर्भरता की अवधि भी अधिक लंबी होती है।

होमो - यह लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है आदमी, इसमे स्त्री-पुरुष दोनो शामिल हैं।
अपमार्जन - इसका अर्थ है त्यागी हुई वस्तुओं की सफाई करना या भक्षण करना।

होमोनिड : ‘होमिनिड’ होमिनिडेइ (Hominidae) नामक परिवार के सदस्य होते हैं इस परिवार में सभी रूपों के मानव प्राणी शामिल हैं। होमिनिड समूह की अनेक विशेषताएँ हैं जैसे - मस्तिष्क का बड़ा आकार, पैरों के बल सीधे खड़े होने की क्षमता, दो पैरों के बल चलना, हाथ की विशेष क्षमता जिससे वह औजार बना सकता था और उनका इस्तेमाल कर सकता था।

 

होमोनिड की विशेषताएँ :
(i) इनके मस्तिस्क का आकार बड़ा होता है |
(ii) इनके पास पैरों के बल खड़ा होने की क्षमता होती है |
(iii) ये दो पैरों के बल चलते है |
(iv) इनके हाथों में विशेष क्षमता होती है, जिससे वे हथियार बना सकते थे और चला सकते थे |

 

होमोनिड और होमोनाइड में अंतर -

होमोनिड होमोनाइड
इनका होमोनाइडो की तुलना में मस्तिष्क छोटा होता था |   इनका मस्तिष्क होमोनिड की तुलना में बड़ा होता है |
ये सीधे खड़े होकर पिछले दो पैरों के बल चलते थे | वे चौपाए थे, यानी चारों पैरों वेफ बल चलते थे, लेकिन उनवेफ शरीर का अगला हिस्सा और अगले दोनों पैर लचकदार होते थे।
इनके हाथ विशेष किस्म के होते थे जिसके सहारे ये हथियार बना सकते थे और इन्हें इस्तेमाल कर सकते थे | इनकी हाथों की बनावट भिन्न थी और ये औजार का उपयोग करना नहीं सीखे थे |
इनकी उत्पति लगभग 56 लाख वर्ष पूर्व माना जाता है | इनकी उत्पति होमोनीडों की उत्पत्ति से पहले का माना जाता है |

 

 

होमोनिडों के अफ्रीका में उदभव के प्रमाण - इसके दो प्रमाण है
(i) अफ़्रीकी वानरों (एप) का समूह होमोनिडों से बहुत गहराई से जुड़ा है |
(ii) सबसे प्राचीन होमोनिड जीवाश्म, जो आस्ट्रेलोपिथिकस वंश (जीनस) से है, जो पूर्वी अफ्रीका में पाए गए है | और अफ्रीका के बाहर पाए गए जीवाश्म इतने पुराने नहीं है |

 

आस्ट्रेलोपिथिकस और होमो में अंतर -

आस्ट्रेलोपिथिकस होमो
आस्ट्रेलोपिथिकस का मस्तिस्क होमो की अपेक्षा बड़ा होता था | इनका मस्तिष्क आस्ट्रेलोपिथिकस की अपेक्षा छोटा होता था |
इनके जबड़े भारी होते थे | इनके जबड़े हल्के होते थे |
इनके दांत भी बड़े होते थे | इनके दांत छोटे आकार के होते थे |
हाथों की दक्षता सिमित थी | ये हाथों का अच्छा उपयोग कर लेते थे |
सीधे खड़े होकर चलने की क्षमता अधिक नहीं थी | इनमें सीधे खड़े होकर चलने की क्षमता अधिक थी |
ये अपना अधिक समय पेड़ों पर गुजरते थे |  

 

आस्ट्रेलोपिथिकस - लातिनी भाषा के शब्द 'आस्ट्रल' जिसका अर्थ दक्षिणी और यूनानी भाषा के 'पिथिकस' का अर्थ है 'वानर' है से मिलकर बना है | यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि मानव के आध्य रूप में उसकी एप (वानर) अवस्था के अनेक लक्षण बरक़रार रहे |

 

आस्ट्रेलोपिथिकस की विशेषताएँ -
(i) आस्ट्रेलोपिथिकस का मस्तिस्क होमो की अपेक्षा बड़ा होता था |
(ii) इनके जबड़े भारी होते थे |
(iii) इनके दांत भी बड़े होते थे |
(iv) हाथों की दक्षता सिमित थी |
(v) सीधे खड़े होकर चलने की क्षमता अधिक नहीं थी |
(vi) ये अपना अधिक समय पेड़ों पर गुजरते थे |

 

होमोंनीडों का दो पैरों पर चलने के लाभ -
दो पैरों पर खड़े होकर चलने की क्षमता के कारण हाथ बच्चों या चीजों को उठाकर ले जाने के लिए मुक्त हो गए और ज्यों-ज्यों हाथों का इस्तेमाल बढ़ता गया, त्यों-त्यों दो पैरों पर खड़े होकर चलने की कुशलता भी बढ़ती गई। इससे विभिन्न प्रकार के काम करने के लिए हाथ स्वतंत्र हो जाने का लाभ तो मिला ही साथ ही चार पैरों की बजाय दो पैरों पर चलने से शारीरिक ऊर्जा की खपत भी कम होने लगी |

 

आस्ट्रेलोपिथिकस के प्रारंभिक रूप का विलुप्त होना -
लगभग 25 लाख वर्ष पहले, ध्रुवीय हिमाच्छादन से (हिम युग के प्रारंभ में) जब पृथ्वी के बड़े-बड़े भाग बर्फ से ढक गए तो जलवायु तथा वनस्पति की स्थिति में बड़े-बड़े परिवर्तन आए। तापमान और वर्षा में कमी हो जाने के कारण, जंगल कम हो गए। और घास के मैदानों का क्षेत्रफल बढ़ गया जिसके परिणामस्वरूप आस्ट्रेलोपिथिकस के प्रारंभिक रूप (जो जंगलों में रहने के आदी थे) धीरे-धीरे लुप्त हो गए और उनके स्थान पर उनकी दूसरी प्रजातियाँ आ गईं जो सूखी परिस्थितियों में आराम से रह सकती थीं।

 

होमो प्रजाति के मनुष्यों का वर्गीकरण : होमो प्रजाति के मनुष्यों को तीन वर्गों में वर्गीकृत किया गया है |
1. होमो हैबिलिस - औजार बनाने वाले
2. होमो एरेक्टस - सीधे खड़े होकर पैरो के बल चलने वाले
3. होमो सेपियंस - प्राज्ञ या चिंतनशील मनुष्य

 

होमो प्रजातियों का उद्गम स्थल :
(i) होमो हैबिलिस के जीवाश्म इथियोपिया में ओमो (Omo) और तंशानिया में ओल्डुवई गोर्ज (Olduvai Gorge) से प्राप्त किए गए हैं।
(ii) होमो एरेक्टस के प्राचीनतम जीवाश्म अफ्रीका और एशिया दोनों महाद्वीपों में पाए गए हैं, यथा- कूबीफोरा (Koobi Fora) और पश्चिमी तुर्काना, केन्या, मोड़ जोकर्तो (Mod Jokerto) और संगीरन (Sangiran), जावा। एशिया में पाए गए जीवाश्म अफ्रीका में पाए गए जीवाश्मों की तुलना में परवर्ती काल के हैं, इसलिए यह अधिक संभव है कि होमीनिड पूर्वी अफ्रीका से चलकर दक्षिणी और उत्तरी अफ्रीका दक्षिणी तथा पूर्वोत्तर एशिया; और शायद यूरोप में भी, 20 से 15 लाख वर्ष पहले गए। ये प्रजातियाँ लगभग दस लाख वर्ष पहले तक जीवित रहीं।

 

आधुनिक मानव का उद्भव : आधुनिक मानव के उदभव का प्रमाण अफ्रीका से मिलता है | आज जिस मनुष्य को हम देख रहे है यह क्षेत्रीय विविधताओं का परिणाम है | आधुनिक मानव के उद्दभव के विषय में दो मत है -
(i) क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल (Continuity Model) : क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल के अनुसार अनेक क्षेत्रों में अलग-अलग मनुष्यों की उत्पति हुई |  
(ii) प्रतिस्थापन मॉडल (Replacement Model) : इस मॉडल के अनुसार मनुष्य का उद्दभव एक ही स्थान अफ्रीका में हुआ | प्रतिस्थापन मॉडल में यह कल्पना की गई है कि मानव के सभी पुराने रूप, चाहे वे कही भी थे, बदल गए और उनका स्थान पूरी तरह आधुनिक मानव ने ले लिया | इस विचार धारा का समर्थन इस साक्ष्य से होता है कि आधुनिक मानव में सर्वत्र शारीरिक और जननिक समरूपताए पाई जाती है कि उनके पूर्वज एक ही स्थान अफ्रीका में उत्पन्न हुए थे |

शिल्पकृतियाँ (artefacts): मानव निखमत वस्तुएँ होती हैं। इनमें अनेक प्रकार की चीजें शामिल होती हैं जैसे - औजार, चित्रकारियाँ, मूर्तियाँ, उत्कीर्ण चित्रा आदि।

 


आदि कालीन मानव के भोजन जुटाने के तरीके : आदि कालीन मानव कई तरीके से भोजन जुटाते थे -
(i) फल कंद-मूल, बीज, गुठलियाँ और बेर आदि का संग्रहण करके
(ii) शिकार करके - आदि मानव कुछ छोटे जानवरों का शिकार भी करते थे | कुछ ऐसे स्थल जैसे कि नदी के पास स्थान बदलने वाले जानवरों रेन्डियर और घोडा आदि का बड़े पैमाने पर शिकार किया जाता था |  
(iii) अपमार्जन द्वारा (त्यागी हुई वस्तुओं की सफाई करके) - आदिकालीन होमिनिड अपमार्जन या रसदखोरी के द्वारा उन जानवरों की लाशों से मांस-मज्जा खुरच कर निकालने लगे जो जानवर अपने आप मार जाते थे या हिंसक जानवरों के द्वारा मार दिए जाते थे |  
(iv) मछली पकड़ के
(v) पूर्व होमिनिड छोटे स्तनपाई जानवरों - जैसे चूहे, छुछुंदर पक्षियों और सरीसृप आदि कीड़े-मकोड़ों को खाते थे |

 

आरंभिक मानव का आवास : पूर्व होमिनिड भी, होमो हैबिलिस की तरह सभावत: किसी स्थान विशेष पर पाई गई अधिकांश खाद्य-समाग्री को वही पर खा लेते थे और ज्यादातर समय पेड़ों पर बिताते थे | एक ही क्षेत्र में होमिनिड अन्य प्राइमेटो और मांसभक्षियो के साथ निवास करते थे | 400,000 से 125,000 वर्ष पहले गुफाओं तथा खुले निवास क्षेत्र का प्रचलन शुरू हो गया | इसके साक्ष्य यूरोप के पूरास्थलोंमें मिलते हैं |

दक्षिण फ्रांस स्थित लेजरेट गुफा की दीवार को 12 × 4 मीटर आकार के एक निवास स्थान से सटाकर बनाया गया है। इसके अन्दर दो चूल्हों (Hearths) और भिन्न-भिन्न प्रकार के खाद्य स्रोतों जैसे - फलों, वनस्पतियों, बीजों, काष्ठफलों, पक्षियों के अण्डों और मीठे जल की मछलियों (ट्राउट, पर्च और कार्प) के साक्ष्य मिले हैं ।

केन्या में चेसोवांजा (Chesowanja) और दक्षिणी अफ्रीका में स्वार्टक्रान्स (Swartkrans) में पत्थर के औजारों के साथ-साथ आग में पकाई गई चिकनी मिटटी और जली हुई हड्डियों के टुकड़े मिले हैं जो 14 लाख से 10 लाख साल पुराने है।

आरंभिक मानव द्वारा औजारों का निर्माण - पत्थर के औजार बनाने और उनका इस्तेमाल किए जाने का सबसे प्राचीन साक्ष्य इथियोपिया और केन्या के पुरा-स्थलों से प्राप्त होता है। यह संभव है कि आस्ट्रेलोपिथिकस ने सबसे पहले पत्थर के औजार बनाए थे। लगभग 35,000 वर्ष पहले जानवरों को मारने के तरीकों में सुधार हुआ। इस बात का प्रमाण यह है कि फेंक कर मारने वाले भालों तथा तीर-कमान जैसे नए किस्म के औजार बनाए जाने लगे। मांस को सापफ किया जाने लगा। उसमें से हड्डियाँ निकाल दी जाती थी और फिर उसे सुखाकर, हलका सेंकते हुए सुरक्षित रख लिया जाता था। इस प्रकार, सुरक्षित रखे खाद्य को बाद में खाया जा सकता था।

रोएँदार खाल का कपडे की तरह प्रयोग और सिलने के लिए सुई का अविष्कार होना |

सिले हुए कपड़ों का सबसे पहला साक्ष्य लगभग 21,000 वर्ष पुराना है |

छेनी और रुखानी जैसे छोटे-छोटे औजार बनाने के लिए तकनीक शुरू हो गई | इन नुकीले ब्लेडों से हड्डी, सींग, हाथी दाँत या लकड़ी पर नक्काशी करना या कुरेदना अब संभव हो गया |  

 

आल्टामीरा की गुफा की विशेषताएँ -
आल्टामीरा स्पेन में स्थित एक गुफा-स्थल है | यह गुफा इसके छत पर बने चित्रकारियों के लिए प्रसिद्ध है | इसकी चित्रकारियों में रंग की बजाय किसी प्रकार की लेई (पेस्ट) का इस्तेमाल किया गया है | यह चित्रकारीयाँ बहुत ही पुरानी हैं परन्तु देखने में ये आधुनिक लगती है जिस पर पुरातत्वविद भी विश्वास नहीं कर पाते हैं |

 

हिमयुग का प्रारंभ - हिमयुग का आरंभ लगभग 25 लाख वर्ष पहले, ध्रुवीय हिमाच्छादन से हुआ था | इसमें पृथ्वी के बड़े-बड़े भाग बर्फ से ढक गए | इससे जलवायु तथा वनस्पति की स्थिति में बड़े-बड़े परिवर्तन आए | तापमान और वर्षा में कमी हो जाने के कारण, जंगल कम हो गए और घास का मैदानों का क्षेत्रफल बढ़ गया |

 

हिमयुग का अंत - लगभग तेरह हजार वर्ष पहले अंतिम हिमयुग का अंत हो गया | जिससे मनुष्यों में अनेक परिवर्तन आए | जैसे - खेती करना, पशुपालन इत्यादि |


संचार, भाषा और कला : भाषा के विकास पर कई प्रकार के मत हैंः
(i) होमिनिड भाषा में अंगविक्षेप (हाव-भाव) या हाथों का संचालन (हिलाना) शामिल था |
(ii) उच्चरित भाषा से पहले गाने या गुनगुनाने जैसे मौखिक या अ-शाब्दिक संचार का प्रयोग होता था | (iii) मनुष्य की वाणी का प्रारंभ संभवतः आह्वाहन या बुलावों की क्रिया से हुआ था जैसा कि नर-वानरों में देखा जाता है। प्रारंभिक अवस्था में मानव बोलने में बहुत कम ध्वनियों का प्रयोग करता होगा। धीरे-धीरे ये ध्वनियाँ ही आगे चलकर भाषा के रूप में विकसित हो गई ।

 

बोली जाने वाली भाषा की उत्पति : ऐसा माना जाता है होमो हैबिलिस के मस्तिष्क में कुछ ऐसी विशेषताएँ थी जिनके कारण उनके लिए बोलना संभव हुआ होगा | भाषा का विकास सबसे पहले 20 लाख वर्ष पूर्व हुआ | स्वर-तंत्र का विकास लगभग दो लाख वर्ष पहले हुआ | इसका संबंध खास तौर से आधुनिक मानव से है |

 

मानव विज्ञान (Anthropology) : मानव विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसमें मानव संस्कृति और मानव जीव विज्ञान के उद्द्विकसीय पहलुओं का अध्ययन का अध्ययन किया जाता है |

 

हदज़ा जनसमूह : हदज़ा शिकारियों तथा संग्राहकों का एक छोटा समूह है जो ‘लेक इयासी’ एक खारे पानी की विभ्रंश घाटी में बनी झील के आसपास रहते हैं।

 

प्राकृतिक संसाधन : पूर्वी हादजा इलाका सूखा और चट्टानी है, जहाँ घास (सवाना), काँटेदार झाडि़याँ और एकासियों के पेड़ों की बहुतायत है, लेकिन यहाँ जंगली खाद्य-वस्तुएँ भरपूर मात्रा में मिलती हैं। बीसवीं शताब्दी के शुरू में यहाँ भाँति-भाँति के जानवरों की बेशुमार संख्या थी। यहाँ के बड़े जानवरों में हाथी, गैंडे, भैंसे, जिराफ, जेब्रा, वाटरबक, हिरण, चिंकारा, खागदार जंगली सुअर, बबून बंदर, शेर, तेंदुए और लकड़बग्घे जितने आम हैं उतने ही आम छोटे जानवरों में साही मछली (porcupine), खरगोश, गीदड़, कछुए और अनेक प्रकार के जानवर हैं।

 

शिकार : हादजा लोग हाथी को छोड़कर बाकी सभी किस्म के जानवरों का शिकार करते हैं और उनका मांस खाते हैं। यहाँ शिकार के भविष्य को कोई खतरा पैदा किए बिना, नियमित रूप से जितना मांस खाया जाता है, उतना दुनिया के किसी भी ऐसे भाग में नहीं खाया जा सकता, जहाँ ऐसे शिकारी-संग्राहक रहते हैं।

 

भोजन : हदज़ा लोगों की भोजन की पूर्ति का 80% तक भाग मुख्य रूप से वनस्पतिजन्य होता है और शेष 20 प्रतिशत भाग मांस और शहद से पूरा किया जाता है |
(i) यहाँ नियमित रूप से मांस खाया जाता है |
(ii) यहाँ पाई जाने वाली सात किस्म की जंगली मधुमक्खियों के शहद और सूंडि़यों को चाव से खाया जाता है |
(iii) हादज़ा लोग अपने भोजन के लिए मुख्य रूप से जंगली साग-सब्जियों, कंद-मूल, बेर आदि पर ही निर्भर रहते हैं।
(iv) सूखे समय में भी यहाँ भोजन की कोई कमी नहीं रहती है |

 

आवास : देश के कुछ हिस्से में घास के खुले मैदान हैं, लेकिन हादजा लोग वहाँ कभी अपना शिविर नहीं बनाते। उनके शिविर पेड़ों अथवा चट्टानों के बीच बल्कि तरजीही तौर पर वहाँ लगाए जाते हैं जहाँ ये दोनों सुविधएँ उपलब्ध् हों। उनके शिविर आमतौर पर जलस्रोत से एक किलोमीटर की दूरी में ही स्थापित किए जाते हैं।

 

संजाति वृत्त (Ethnography) : इसमें समकालीन नृजातीय समूहों का विश्लेषणात्मक अध्ययन होता है। इसमें उनके रहन-सहन, खान-पान आजीविका के साधन, प्रौद्योगिकी आदि की जाँच की जाती है। स्त्राी-पुरुष की भूमिका, कर्मकांड, रीति-रिवाज, राजनीतिक संस्थाओं और सामाजिक रूढि़यों का अध्ययन किया जाता है।

 

शिकारी संग्राहक समाज - यह समाज शिकार करने के साथ-साथ आर्थिक क्रियाकलापों में लगे रहते थे | जैसे - जंगलों में पाई जाने वाली छोटी-छोटी चीजों का विनमय और व्यापार करना इत्यादि |

 


Question


Question 1 :

आधुनिक मानव के उद्भव से संबंधित प्रतिस्थापन मॉडल के अनुसार कौन-सा मत सही है।


1. मनुष्य का उद्भव एक ही स्थान अफ्रीका में हुआ
2. अनेक क्षेत्रों में एक ही तरह के मनुष्यों की उत्पत्ति हुई
3. मनुष्य का उद्भव यूरोप में हुआ
4. सभी क्षेत्रों में एक ही तरह के मनुष्यों को उत्पत्ति नहीं हुई
Answer
1079

Question 2 :

अपमार्जन का अर्थ है ………………


1. भोजन की तलाश करना
2. भोजन एकत्रित करना
3. त्यागी हुई वस्तुओं की सफाई करना
4. कंदमूल जमा करना
Answer
1080

Question 3 :

गुफा चित्रकला का प्राचीनतम प्रमाण किस काल का मिला है?


1. पुरापाषाण
2. मध्यपाषाण
3. नवपाषाण
4. हड़प्पा
Answer
1081

Question 4 :

हमें प्रथम होमिनिड्स का साक्ष्य मिलता है ___________


1. 50 मिलियन वर्ष पूर्व
2. 5.6 मिलियन वर्ष पूर्व
3. 10 मिलियन वर्ष पूर्व
4. इनमें से कोई नहीं
Answer
1082

Question 5 :

साक्ष्यों से ज्ञात होता है कि होमिनिड्स का उद्भव ___________________


1. एशिया में हुआ
2. यूरोप में हुआ
3. अफ्रीका में हुआ
4. इनमें से कोई नहीं
Answer
1083

Online Quizz


MS Word
  • No of Question : 50 Question
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